Description
इस पुस्तक में मुख्यत – षट्कर्मों, यक्षिणियों, चेटकों तथा अनन्य काम्यकर्मों और कौतुकों आदि से संबंध विस्तृत और प्रामाणिक वर्णन होने के कारण, अनुवाद सहित प्रकाशित हो जाने पर इसके दुरुपयोग की आशंका से ही लेखक ने इसके प्रकाशन से विरत रहना चाहता था. अतः आज इसके पूरा हो जाने पर लेखक पाठकों से यही निवेदन करते है की इसमें वर्णित प्रयोगों का केवल रचनात्मक कार्यों के लिए ही प्रयोग करें.
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