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हिन्दी मंत्रमहार्णव (देवता खंड)

600
इस मंत्रशास्त्र के ही प्रभाव से प्राचीनकाल में मनुष्य न केवन देवताओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होता था,

हिन्दी मंत्रमहार्णव (देवी खण्ड )

1,050
मंत्रशास्त्र की प्रत्येक पुस्तक में लिखा है की पुस्तक में लिखा मंत्र निष्प्रभावी होता है क्योंकि प्रत्येक मंत्र को जागृत

हिन्दी मंत्रमहार्णव (मिश्र खण्ड )

450
इस पुस्तक में मुख्यत – षट्कर्मों, यक्षिणियों, चेटकों तथा अनन्य काम्यकर्मों और कौतुकों आदि से संबंध विस्तृत और प्रामाणिक वर्णन