Description
श्री कालचक्रतंत्र का उपदेश यशस्वी राजा सुचन्द्र के प्रश्नों के बाद भगवन तथागत शाक्यमुनि ने किया है. इस ग्रन्थ का मुख्या प्रतिपाद्य विषय है योग जिससे इस कलियुग में मनुष्यों की या साधकों की मुक्ति होती है. इसीलिए प्रथम श्लोका में ही यह विषय उठाया गया है “योगं श्री कालचक्रे कलियुगसमये मुक्तिहेतोर्नाराणाम यह कहा है.
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