Description
अहं ब्रह्मास्मि एक अनोखे और अद्भुत पथप्रदर्शक द्वारा दी गई विरासत है, जो पाठक को आत्म निरीक्षण और आत्मदर्शन करने की स्पष्ट समझ प्राप्त करने में सहायता करती है. इसे बार बार पढ़ने से ऐसा लगता है जैसे जिज्ञासु अपने सनातन प्रश्नों को लेकर बार बार महाराज के पास आता है। .. “मैं कहाँ से आया? मैं कौन हूँ? और मुझे कहाँ जाना है? मेरा लक्ष्य क्या है?” तब पूछने वाले और सुननेवाले कभी महाराज के नम्र आवास से निराश नहीं लौटे थे और आज भी नहीं लौटेंगे क्योंकि उनके वचन आप के हाथ में है.
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