Yogirajadhiraj Swami Vishuddhanand Paramahansadeva

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Baba Vishuddhanandaji the master of Yoga and self-realization who lived in the first half of this century was an embodiment of Yoga and knowledge of reality combined with compassion for one and all. Babaji possessed the eight siddhis Anima, Mahima etc., and demonstrated the same to his admirers. Surya-Vijnan, Chandra-Vijnan, Nakshatra-Vijnan and Vayu-Vijnan worked at his command. Dr. Gopinath Kaviraj, deeply struck by his feats in his early years became his disciple all his life and got his initiation in Mantras. It is a pity that Independent India has not produced even one of Baba's type.

कौन हैं ये श्यामाचरण Kaun Hain Ye Shayamacharan

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भारतीय सनातन धर्म के ध्रुवतारा योगिराज श्री श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय की योगसाधना जो क्रियायोग के नाम से सुपरिचित है, के

मनीषी की लोकयात्रा

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कविराज जी के दार्शनिक चिंतन और कृतित्व से भारतीय संस्कृति तथा साहित्य अनेक विध समृद्ध हुआ है. वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय (पूर्व गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज, बनारस) और उसका विश्वप्रसिद्ध 'सरस्वती-भवन' विविध रूपों में उनके द्वारा की गयी सेवाओं से ही वर्त्तमान स्थिति प्राप्त करने में समर्थ हुआ. यह हिंदी-भाषी क्षेत्र का सौभाग्य था की पूर्वी बंगाल में जन्मा ग्रहण करते हुए भी इस महापुरुष की शिक्षा-दीक्षा और साधना भूमि होने का गौरव उसे प्राप्त हुआ. भौतिक दृष्टि से जन्मभूमि के आकर्षक एवं उत्कर्षविधायक प्रलोभनों तथा दबाओं के बावजूद इनकी काशिनिष्ठा ढृढ़ रही और वही आजीवन इनकी क्षेत्र-संन्यास-स्थली बानी रही. इनका अपना विशीष्ट क्षेत्र दर्शन, भक्तिसाधना तथा तंत्र था. इन विषयों पर पिछले पचास वर्षों में निर्मित हिंदी साहित्य के वे प्रमुख प्रेरणास्रोत रहे हैं.