उदान वायु यानी वह स्वास-वायु, जो हृदय से उठे और कण्ठ-तालू तक आकर मुंह से बाहर निकले |
इसी प्रकार उदान वचन यानी वह उदगार जो सीधे मन से उठे और वाणी द्वारा प्रकट हो जाए |
ऐसा उदगार शोकजन्य भी हो सकता है और हर्षजन्य भी | परन्तु पुरातन भाषा में सामान्यतः हर्षजन्य (हर्षद ) उदगार को ही उदान कहा गया है