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उदान (मूल पालि पाठ सहित )

250
उदान वायु यानी वह स्वास-वायु, जो हृदय से उठे और कण्ठ-तालू तक आकर मुंह से बाहर निकले | इसी प्रकार उदान वचन यानी वह उदगार जो सीधे मन से उठे और वाणी द्वारा प्रकट हो जाए | ऐसा उदगार शोकजन्य भी हो सकता है और हर्षजन्य भी | परन्तु पुरातन भाषा में सामान्यतः हर्षजन्य (हर्षद ) उदगार को ही उदान कहा गया है

सुत्त पिटक का मज्झिम निकाय ( बुद्ध वचनामृत – 1 )

500
तिपिटक साहित्य में अनेक ग्रंथों के नाम उनमें सम्मिलित सुत्तों के आकार के आधार पर निर्धारित किये गए हैं |

सुत्तनिपात (मूल पालि पाठ सहित)

300
सुत्त-निपात में मौलिक बौद्ध धर्म तथा दर्शन की प्रचुर सामग्री मिलती हैं | यह धम्मपद के समान अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं | इसकी भाषा वैदिक संस्कृत के अधिक नजदीक हैं | इसलिए सुत्त-निपात की गाथाओं के छंद भी प्रायः वैदिक ही हैं | इसमें पांच वग्ग (वर्ग) तथा 72 सुत्त हैं |