जीवात्मा के लिए सबसे बारे सत्य है मृत्यु. जीवन में केवल मृत्यु ही अवश्यम्भावी है क्योंकि यही एक स्थिति है जो जोगी और भोगी, राजा और रैंक, शाशक और शाषित - किसी भी वर्ग में भेदभाव नहीं रखती. अलग-अलग धर्मों और दर्शनों ने अपने ही दृष्टिकोण से इसकी व्याख्या की है.