Description
आगमों की भूमि ‘कश्मीर’ में एक शक्तिवादी मत का आविर्भाव हुआ जिसका अभिधान था-‘क्रमदर्शन’. इस दर्शन में शक्ति (कलसंकर्षिणि) को शिव (परभैरव ) से भी कुछ उच्च अवस्था में मन है. तंत्रलोकाकार आचार्य अभिनवगुप्तपाद ने भूतिराज जी से इस दर्शन का अध्ययन किया था. ‘क्रमनय’ कश्मीर के अद्वयवाद की आधारभूमि है जिस पर आचार्यों ने विभिन्न मतवादों को प्रतिष्ठित किया गया है.
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