Life & Philosophy of Pt. Gopinath Kaviraj
मनीषी की लोकयात्रा
कविराज जी के दार्शनिक चिंतन और कृतित्व से भारतीय संस्कृति तथा साहित्य अनेक विध समृद्ध हुआ है. वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय (पूर्व गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज, बनारस) और उसका विश्वप्रसिद्ध 'सरस्वती-भवन' विविध रूपों में उनके द्वारा की गयी सेवाओं से ही वर्त्तमान स्थिति प्राप्त करने में समर्थ हुआ. यह हिंदी-भाषी क्षेत्र का सौभाग्य था की पूर्वी बंगाल में जन्मा ग्रहण करते हुए भी इस महापुरुष की शिक्षा-दीक्षा और साधना भूमि होने का गौरव उसे प्राप्त हुआ. भौतिक दृष्टि से जन्मभूमि के आकर्षक एवं उत्कर्षविधायक प्रलोभनों तथा दबाओं के बावजूद इनकी काशिनिष्ठा ढृढ़ रही और वही आजीवन इनकी क्षेत्र-संन्यास-स्थली बानी रही. इनका अपना विशीष्ट क्षेत्र दर्शन, भक्तिसाधना तथा तंत्र था. इन विषयों पर पिछले पचास वर्षों में निर्मित हिंदी साहित्य के वे प्रमुख प्रेरणास्रोत रहे हैं.